Thursday, February 11, 2010
आये हैं हम कहाँ, जाना हैं अब कहाँ
एक लम्बा सफ़र एक बड़ा मुकाम हमें हासिल हो चुका है पर अभी के लिए ये सिर्फ शुरुआत है, आगाज़ है अंजाम तक पहुँचाने की कोशिश अभी जारी हैं । अपनी गौरवमयी संस्कृति और गीता ज्ञान के लिए पूरी दुनिया में विख्यात हरियाणा नयी करवट ले तैयार हो रहा है, एक नया सुर हर सांस में है, एक नयी ताल पर हर कदम थिरक रहा है। ये हरियाणा का युवा है, अपनी मिटटी की छाप को खुबसूरत निशानी बनाने की कोशिश में जुटा हरियाणा का गबरू । पर सफ़र लम्बा है और वक़्त ठहरने का नहीं सिर्फ और सिर्फ चलने का है, गतिवान होने का है। हिन्दुस्तान हमारी लोक संस्कृति की झलक देख चुका है, अब दुनिया को दिखाना है की जिस हरियाणा के लोगों के भोलेपन को लट्ठमार की तोहमत लगायी गयी है वो किस शिद्दत से अपनी मिटटी की खुशबू को सँभालने और उसे संजोने में लगा हैं। और ये कोशिश यकीन दिला रही है कि इस मिटटी में पल्लवित होने वाले अंकुर जब वट वृक्ष का रूप धारेंगे तो पूरी दुनिया एक सुकून हासिल करने के लिए इस धरा पर हरियाणा की सरज़मीं पर कदम रक्खेगी।
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इस आग़ाज़ से गिला नहीं मुझे
ReplyDeleteइसके अंजाम से शिकवा नहीं
फिर भी कहा ख्वाहिश ने कि
इस सफ़र को मुक्कमल किया जाये.............
हरियाणवी सभ्यता के इस सफ़र को मुक्कमल बनाने के लिए रोज़ नए कीर्तिमान इस ब्लॉग पर अपनी झलक दिखायेंगे ऐसा हमारा विश्वास है